बनाना चाहते थे ‘पैराथॉयरॉड ग्रंथी’ ढूंढने की मशीन बन गई अदृश्य चित्रों को उजागर करने की ‘तकनीक’

बनाना चाहते थे ‘पैराथॉयरॉड ग्रंथी’ ढूंढने की मशीन बन गई अदृश्य चित्रों को उजागर करने की ‘तकनीक’

बॉम्बे आर्ट सोसायटी गैलरी की गैलरी नंबर एक में में शुरू हुई अदृश्य चित्रों की अनूठी प्रदर्शनी

जीवंत हुआ साइंस और आर्ट का फ्यूजन

02 अक्टूबर तक बॉम्बे आर्ट सोसायटी गैलरी की गैलरी नंबर एक में चलेगी डॉ. प्रशांत शर्मा और नीरव कुलश्रेष्ठ ‘इनसेन’ के अनूठे सृजन की प्रदर्शनी

मुंबई। बॉम्बे आर्ट सोसायटी गैलरी की गैलरी नंबर एक में रविवार को जैसे ही प्रवेश किया पूरी दीर्घा में दीवार पर चारों ओर सजे खाली फ्रेम नजर आए लेकिन जैसे ही उन पर लाइट की अल्ट्रा वॉयलेट किरणें डाली गईं तो कहीं नजर आए यूक्रेन युद्ध की विभीषिका के नजारे, कहीं दुबई का विश्व प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा, कहीं एफिल टॉवर, कहीं भगवान श्रीराम तो कहीं शांति के दूत महात्मका गांधी का अक्स। मौका था चित्रकला के क्षेत्र में काम कर रही दो दोस्तो की जोड़ी डॉ. प्रशान्त शर्मा और नीरव कुलश्रेष्ठ ‘इनसेन’ की इजाद की गई चित्रकला की नवीन शैली में बनाई गई 23 पेंन्टिंग्स की प्रदर्शनी का उद्घाटन का।

आयोजित हुई ग्रैंड ओपनिंग नामी हस्तियों ने की ओपनिंग सैरेमनी में शिरकत

इस प्रदर्शनी की गं्रेड ओपनिंग सोमवार को दोपहर 2.00 बजे की गई। ओपनिंग सैरेमनी में मुंबई की कई नामी हस्तियों ने शिरकत की। लोढा वर्ल्ड स्कूल, ठाणें और लोढा फाउन्डेशन की चेयरपरसन तथा प्रतिष्ठित लेखक और समाज सेविका श्रीमती मंजू मंगलप्रभात लोढा इसका उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में श्रीती लोढा के अलावा प्रसिद्ध उद्योगपति पूनमचंद कुलारिया, बॉलीवुड आर्टिस्ट पृथ्वी सोनी, बॉम्बे हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट फिज़ीशियन डॉ. गौतम भंसाली, ग्रीन एनर्जी के प्रमोटर राहुल पंड्या, चार्टेड अकाउन्टेंट और समाज सेवी निशान्त शर्मा तथा कैमिकल इंजीनियर हिमांशु शर्मा ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। उद्घाटन के उपरान्त प्रदर्शनी 2 अक्टूबर तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे आम दर्शकों और कला प्रेमियों के लिए खुली रहेगी।

इरा टाक ने दर्शकों के साथ किया आर्टिस्टिक इंटरएक्शन

मुंबई में रहकर सृजन कार्य में लगीं जानी-मानी ऑडियो स्टोरी टेलर, स्क्रिप्ट राइटर, कवि फिल्मकार और चित्रकार इरा टाक इस एग्जीबिशन को क्यूरेट कर रही हैं। इस मौके पर उन्होंने यहां आए अतिथियों के साथ आर्टिस्टिक एंटरएक्शन किया और एक-एक पेन्टिंग की खूबी और उसमें छिपे भावों की व्याख्या की जिसे सुनकर लोगों के लिए यहां प्रदर्शित पेन्टिंग्स को देखने का आनंद दुगना हो गया। इरा 2 अक्टूबर तक यहां आने वाले हर व्यक्ति को प्रदर्शनी की एक एक पेन्टिग की कलात्मक अंदाज में जानकारी प्रदान करेंगी।

एक चिकित्सक तो दूसरा चित्रकार है, मिलकर किया ‘विज्ञान’ और ‘कला’ का संगम

डॉक्टर प्रशांत शर्मा जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ सर्जन हैं, बचपन से ही उन्हें चित्रकारी का और बांसुरी वादन का शौक है। दूसरे कलाकार नीरव कुलश्रेष्ठ चित्रकला को समर्पित है वो सृजन के क्षेत्र में इनसेन के नाम से जाने जाते हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मुंबई में पहली बार आयोजित की गई अदृश्य चित्रों की इस प्रदर्शनी में जितने भी चित्र प्रदर्शित किए गए हैं वे अदृश्य हैं यानि दिन की रोशनी में नहीं दिखते हैं। इन्हें देखने के लिए कला दीर्घा की लाइटें बंद की जाती हैं उसके बाद इन चित्रों पर अल्ट्रा वॉयलेट किरणें डालकर आकृतियों को जीवंत किया जाता। एक तरह से इन कलाकृतियों को ‘कला’ और ‘विज्ञान’ का अनूठा सम्मिश्रण कहा जा सकता है। इस प्रदर्शनी में लगभग 23 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। सभी चित्र एक से बढ़कर एक हैं। कुल मिलाकर आकृतियों के ‘साकार’ रूप को ‘निराकार’ करने में चित्रों की ये श्रंखला बहुत ही प्रभावी हैं।

बनाना चाहते थे ‘पैराथॉयरॉड ग्रंथी’ ढूंढने की मशीन बन गई अदृश्य चित्रों को उजागर करने की ‘तकनीक’

प्रशांत ने बताया कि आकृतियों के साकार रूप को निराकार करके उन्हें फिर से साकार करने की इस तकनीक की खोज की कहानी बड़ी रोचक रही। दरअसल वो कुद बरसों पहले व्यक्ति के गले में थॉयरॉड ग्रंथी के पास मौजूद उसकी सहायक ग्रंथी पैराथॉयरॉड को आसानी से देख सकने में सक्षम मशीन बनाने की कोशिश में लगे हुए थे। ये ऐसी सूक्ष्म ग्रंथी है जिसको देख पाना बड़ी मुश्किल काम होता है और अनुभवी चिकित्सक ही इस प्रक्रिया में सक्षम हो पाते हैं। थॉयरॉड ग्रंथी में प्रॉब्लम की शुरूआत इसी पैराथॉयरॉड ग्रंथी से होती है। इस मशीन में काम में आने वाले कुछ लैंस काफी खोज के बाद भी नहीं मिले इसी दौरान एक खबर आई कि इटली के चित्रकार सल्वेटोर ने केवल हवा में बनाए एक काल्पनिक मूर्ति शिल्प को लाखों में बेच दिया। सल्वेटोर का ये मूर्तिशिल्प अनूठी फंतासी मात्र था जिसमें उन्होंने केवल हवा में बनाए एक काल्पनिक मूर्ति शिल्प को लाखों में बेच दिया। इस खबर से उन्हें भी ऐसी ही फंतासी करने की प्रेरणा मिली क्योंकि चिकित्सा के क्षेत्र में उनके द्वारा की जा रही खोज इसके काफी करीब थी। इटली के मूर्तिकार का सृजन तो काल्पनिक था लेकिन उनकी ये फंतासी व्यक्ति को ‘अमूर्त’ से ‘मूर्त’ की ओर ले जाती है साथ ही हमेशा भौतिक रूप व्यक्ति के साथ ही रहती है।

भारतीय कला जगत में नई जान फूंकेगी ये तकनीक

डॉ प्रशांत ने कहा कि यह तकनीक भारतीय कला में एक नई जान फूंक देगी और विश्व पटल पर भारतीय कला की एक नई पहचान बनेगी. हमने अपनी इस प्रदर्शनी का नारा रखा है ‘विज्ञान और कला का सम्मिश्रण’ हमने विज्ञान की सहायता से चित्रकला की नई तकनीक बनाई और अलग तरह के अद्भुत चित्र बनाए हैं. हम आगे भी इस विषय पर रिसर्च करते रहेंगे और अलग-अलग प्रकार की तकनीक इसमें विकसित करते रहेंगे. जो कलाकार या कलाप्रेमी लोग हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं उनका हृदय से स्वागत है.

बहुत कठिन कार्य है इस शैली में चित्रकारी करना

कलाकार नीरव कुलश्रेष्ठ इनसेन का कहना है कि इस प्रकार की चित्रकारी बहुत ही मुश्किल है. आपको सिंगल स्ट्रोक पेंटिंग करनी होती है, क्योंकि इसमें एक बार खींच दी गई लकीर को मिटाकर सुधारने का ऑप्शन नहीं होता है। साथ ही जैसे जैसे आकृति बनती चली जाती है इसके साथ ही वो अदृश्य होती चली जाती है, फिर उसे विशेष रोशनी के माध्यम से ही देखा जा सकता है।

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