गांवों में मनरेगा श्रमिकों से अन्याय, जल्द करेंगे प्रदर्शन


गांवों में मनरेगा श्रमिकों से अन्याय, जल्द करेंगे प्रदर्शन
भाजपा नेता संजय मूंदड़ा ने महियांवाली में जानी मनरेगा श्रमिकों की समस्याएं
श्रीगंगानगर। भाजपा नेता संजय मूंदड़ा ने मनरेगा श्रमिकों के साथ हो रहे अन्याय पर आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा श्रमिकों को पर्याप्त काम नहीं मिलता है। अगर कहीं मिलता है तो काम का पूरा पैसा नहीं दिया जाता है। मनरेगा श्रमिकों को कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। जल्द ही मनरेगा श्रमिकों की समस्याओं को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने आज महियांवाली गांव मेंं मनरेगा श्रमिकों से मिलकर उनकी समस्याएं जानने के बाद यह बात कही।
मूंदड़ा आज सुबह महियांवाली गांव पहुंचकर ग्रामीणों से मिले। इसके बाद उन्होंने मनरेगा श्रमिकों से मुलाकात की। मनरेगा श्रमिकों ने उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत करवाया। मूंदड़ा ने बताया कि मनरेगा श्रमिकों की समस्याएं जानकर मैं बेहद हैरान और दुखी हुआ हूं। भीषण गर्मी और धूप मेंं उनसे काम करवाया जाता है लेकिन कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। नियमानुसार, मनरेगा कार्यस्थलों पर मजदूरों के लिए पेयजल, जरूरी दवाओं, धूप से बचाव के लिए टैंट और बच्चों के लिए पालने इत्यादि का इंतजाम होना चाहिए लेकिन महियांवाली में ऐसा कोई इंतजाम नहीं नजर आया।
उन्होंने कहा कि पूरे जिले में एक जैसा हाल है। कहीं भी मजदूरों के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। मनरेगा अधिनियम के तहत जब मजदूर मांगे तो उसे काम मिलना चाहिए। लेकिन जरूरत के समय मजदूरों को काम नहीं दिया जाता है। काम न दे पाने की स्थिति में मनरेगा मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं है। सरकार की अनदेखी के कारण गांवों मेंं अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी चल रही है।
मूंदड़ा ने इस बात पर आक्रोश जताया कि महियांवाली के श्रमिकों से पिछले दिनों 13 दिन काम करवाया गया लेकिन उन्हें भुगतान 11 दिन का ही किया गया। दो दिन का भुगतान कहां गया, कोई नहीं जानता। उन्होंने मांग की कि भीषण गर्मी में मनरेगा मजदूरों से सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक काम लिया जा रहा है। इस समय को परिवर्तित कर सुबह छह से ग्यारह बजे तक किया जाना चाहिए।
इस मौके पर नंदराम, रामप्रताप, सतपाल, दुलीचंद, लाधूराम, बद्रीप्रसाद, जगदीश, बनवारी, पंकजज, भालाराम, रविन्द्र, श्योनारायण कासनिया, सोनू, कमला देवी, तुलसी देवी, मोनिका, सरोज, रानी देवी, गीता देवी, भीरांदेवी, जमना, सावित्री तथा कमला वाल्मीकि आदि श्रमिकों ने अपनी व्यथा सुनाई। कमला वाल्मीकि ने कहा कि मूंदड़ा जब भी कहेंगे, वे लोग प्रदर्शन के लिए पहुंचेंगे।

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