एस.एस. आदर्श कॉन्वेंट सी० सै० स्कूल 19बी.बी, मे श्रीसुखमनी साहिब पाठ का आयोजन

एस.एस. आदर्श कॉन्वेंट सी० सै० स्कूल 19बी.बी, मे श्रीसुखमनी साहिब पाठ का आयोजन

पदमपुर – नववर्ष के पावन अवसर पर एस.एस. आदर्श कॉन्वेट सीनियर सैकण्डरी स्कूल, 19 बी. बी. पदमपुर में श्री सुखमणी साहिब के पाठ का आयोजन किया गया। श्री सुखमणी साहिब प्रबन्ध कमेटी ने समस्त क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हुए सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं दी। इस शुभ अवसर पर विद्यालय के डायरेक्टर ओमप्रकाश कलिया ने बताया कि विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य व क्षेत्र की खुशहाली के लिए प्रतिवर्ष एस. एस. आदर्श उच्च माध्यमिक (हिन्दी व अग्रेजी माध्यम) व एस. एस. आदर्श कॉन्वेट सीनियर सैकण्डरी (सीबीएसइ) स्कूल, 19 बी.बी. पदमपुर में सुन्दरकाण्ड का पाठ व श्री सुखमणी साहिब के पाठ भोग का आयोजन किया जाता है। उन्होंने – बताया कि वर्तमान में युवा वर्ग पाश्चात्य सभ्यता का अन्धानुकरण कर रहा हैं जिससे उनमें भारतीय संस्कार खत्म होते जा रहे हैं। विद्यालय के अध्यक्ष अशोक कलिया ने बताया कि गुरु कृपा के कारण ही प्रतिवर्ष विद्यालय के विद्यार्थी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करवाते है। वाहेगुरु के आशीर्वाद से विद्यालय निरन्तर उन्नति के पथ पर बढ़ रहा है। एस.एस. आदर्श कॉन्वेट स्कूल 19 बी.बी. पदमपुर के प्रधानाचार्य हैप्पी प्रकाश कलिया ने कहा कि गुरु कृपा से ही विद्यालय के 11 विद्यार्थियों का इन्सपायर अवार्ड मे चयन हुआ जिसके अन्तर्गत 80,000 रु. प्रतिवर्ष 4 लाख रुपये प्रदान किये गये। यह क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। इस पावन अवसर पर माननीय विधायक महोदय गुरमीत सिंह जी कुन्नर ने विद्यालय के डायरेक्टर ओमप्रकाश कलिया व विद्यालय के अध्यक्ष अशोक कलिया के निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में उन्नती करने पर प्रसंशा की। उन्होंनें कहा कि यह क्षेत्र का एकमात्र ऐसा विद्यालय हैं कि जो शिक्षा के साथ-साथ खेलो तथा स्काउट जैसे सहक्षैक्षिक गतिविधियों में भाग लेकर क्षेत्र को गौरवांवित कर रहे है । श्री सुखमणी साहिब सेवा सोसायटी के सदस्य सुन्दरलाल चावला, चरणजीत सिंह, दिवानचन्द आहुजा, रामकिशन आहुजा, दौलत सिंह पाहवा, गुरचरण सिंह पाहवा, नवीन कुमार, लवली, राकेश भठेजा, तरूण धमीजा, महेश चावला, रमनदीप सिंह अजीत सिंह खालसा आदि ने गुरु वाणी की वर्षा कर साध संगत को निहाल किया। पाठ भोग के उपरांत गुरू का अटूट लंगर बरताया गया ।

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